Sunday, December 14, 2008

यह क्या है ?

अभी चुनाव के व्यस्त कार्यक्रम से फ़ुरसत हुये ही थे कि मेरे मित्र भाटि साहब की बहन कुछ ज्यादा बीमार हो गई ! कुछ पेट के कैन्सर से पीडित हैं ! 

इधर कुछ समय उनको भी देना पडता है ! कल रात को दस बजे के करीब उनके घर पर ही था ! बहन जी की उम्र करीब ६० साल की है ! और मेरे मित्र के साथ ही रहती हैं ! 

मेरे मित्र के घर मे इस बहन के अलावा एक उनका बडा भाई भी है ! ये तीनो भाई बहन कुंआरे हैं ! उम्र भी ५० से लेकर ६० के बीच मे है तीनो की !

रात को बहन की तबियत ज्यादा खराब हुई तो डाक्टर को बुलवाया ! डाक्टर ने आकर देखा ...ब्लड प्रेशर..नब्ज गायब ...! उनको पलन्ग से नीचे उतार लिया गया... घर मे कुछ रिश्तेदार महिलाए भी आई हुई थी ..रोना धोना मच गया..!

यहां तक तो ठीक.... अब बहन जी  के  बहुत ही लाडले पडोसी के १५ वर्षिय बालक को मालूम पडा उसी वक्त वो आकर चिल्लाया--आन्टी जी .. क्या हुआ आपको ?

और आप आश्चर्य करेंगे आन्टी जी ऊठकर बैठ गई ! और आज वो और दिनो की अपेक्षा ज्यादा स्वस्थ लग रही हैं ! ये कल रात की घटना है !




 

Thursday, November 20, 2008

ताई ने किया अर्थ का अनर्थ

बात पुरानी है ! उस समय ताऊ और ताई की शादी हुई ही थी ! 
शादी के कुछ दिन बाद ताऊ तो कलकता चला गया ! 
और ताई रह गई गाँव  में ! अब एक दिन ताई ने एक पत्र ताऊ को लिखा ! 


आप तो ताऊ को जानते ही हो ! ताऊ ख़ुद अंगूठा छाप है ! इसीलिए चोरी 
डकैती और लूट्मारी के धंधो में लगा है ! 
सूना है आजकल चाँद बेच कर खाने की जुगाड़ में है ! 
यमराज जी चाँद ताऊ के हवाले कर गए हैं !  


ताऊ अब ऐसा है तो ताई भी उससे दो हाथ आगे है ! 
बस किसी तरह जोड़ कर  अक्षर लिख लेती है ! 
शब्द कहाँ लगाना, कोमा,  पूर्णविराम जहाँ इच्छा हो वहीं लगाती है ! 
आप भी ताई का पत्र ताऊ के नाम की झलक देखिये !


मेरे प्रिय जीवन साथी मेरे चरणों में आपका प्रणाम ! 

आपने अभी तक चिट्ठी नही लिखी मेरी सहेली को !  

नौकरी मिल गई है गाय ने !  

बच्छडा दिया है दादाजी ने !  

शराब शुरू करदी मैंने !  

तुमको बहुत ख़त लिखे पर तुम नही आए कुत्ते के बच्चे !  

भेडिया खा गई दो महीने का राशन !  

छुट्टी पर आते वक्त ले आना एक खूबसूरत औरत !  

मेरी सहेली बन गई है ! 

और इस वक्त टी.वी. पर गाना गा रही है हमारी बकरी !  

बेच दी गई है तुम्हारी माँ !  

तुमको याद कर रही है एक पडोसन !  

हमें बहुत तंग करती है तुम्हारी बहन !  

सिरदर्द से लेटी है तुम्हारी पत्नी !
 

अब अगर ताई पढी लिखी होती और सही कोमा एवं पूर्णविराम लगाती तो असल बात यह थी ! 


मेरे प्रिय जीवन साथी के चरणों में मेरा प्रणाम  ! 
आपने अभी तक चिट्ठी नही लिखी ! मेरी सहेली को  नौकरी मिल गई है !  
गाय ने  बच्छडा दिया है !  दादाजी ने शराब शुरू करदी !  
मैंने  तुमको बहुत ख़त लिखे पर तुम नही आए ! कुत्ते के बच्चे  भेडिया खा गई !  
दो महीने का राशन  छुट्टी पर आते वक्त ले आना !  
एक खूबसूरत औरत  मेरी सहेली बन गई है ! 
और इस वक्त टी.वी. पर गाना गा रही है ! हमारी बकरी  बेच दी गई है !  
तुम्हारी माँ  तुमको याद कर रही है !  एक पडोसन  हमें बहुत तंग करती है !  
तुम्हारी बहन  सिरदर्द से लेटी है ! 

तुम्हारी पत्नी !
 

हम बिल्कुल भी नही बताएँगे की ये कौन से ताई और ताऊ की कहानी है ! 
आपको जो समझना हो आप समझ लीजिये ! 

Saturday, November 15, 2008

तीन सिद्ध ताऊ : गहन तपस्या में लीन

साथियो, मित्रो, भाईयो ,बहनों और सारे वोटरों को तिवारीसाहब का नमस्कार ! 
हमको अफ़सोस इस बात का है की हमको उपरोक्त भाषण देने का सौभाग्य इस बार नही मिला ! कारण हमारी पार्टी ने हमें टिकट देने के काबिल ही नही समझा !  फ़िर भी हमारी व्यस्तताए वैसी ही हैं जैसी की ख़ुद चुनाव लड़ने में होती है ! कारण की पार्टी का काम करना पड़ता है ! हमारी व्यस्तताए अभी बहुत ज्यादा हैं ! और १०/११ दिन की बात है फ़िर आपसे जमकर बात चित होगी ! 

अब यहाँ आगये हैं तो कुछ गप शप हो जाए तो अच्छा रहेगा ! 

एक बार ताऊ २५ वीं मंजिल पर बैठा था ! एक मित्र ने बताया की आपकी पोती  का एक्सीडेंट हो गया है तो ताऊ हडबडी में खिड़की से छलांग लगा देते हैं ! २० मंजिल तक नीचे गिरे तो याद आया की उनके तो कोई पोती ही नही है ! फ़िर दसवीं  मंजिल तक आते  आते उनको याद आया की  उनकी तो अभी तक शादी ही नही हुई ! और जब जमीन पर गिर कर उनकी हड्डी पसली एक हो गई तब याद आया की उनका नाम तो ताऊ ही नही था ! अब ये आप अंदाज लगाओ की इनमे ये दोनों ताऊ कौन कौन थे ? हम नही बताएँगे !


उपरोक्त घटना के बाद ताऊ रामपुरिया , राज भाटिया जी और योगीन्द्र मोदगिल  जी यानी तीनो हरयाणवी अपने घरो से लड़ झगड़ कर तपस्या करने हिमालय के पहाडो  में चले गए ! अब आप जानते ही हो की तपस्या और ताउओ का क्या सम्बन्ध ? तो कुछ घर की याद आने लग गई ! उस जंगल में रास्ता भी मुश्किल सो वापस भी नही जा सकते थे !
 
 
राज भाटिया जी और योगीन्द्र मोदगिल जी  ज्यादा परेशान थे वापस घर जाने के लिए ! और ताऊ रामपुरिया को तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी ! वो जंगल में बहुत प्रशन्न था ! कारण एक तो ताई से लट्ठ खाने का डर खत्म और सुल्फे गांजे चिलम का पक्का इंतजाम वहाँ था ही  ! सो वो किसी कीमत पर वापस नही जाना चाहता था ! तो इनके दो गुट बन गए थे !
 

एक दिन इनकी तपस्या से भगवान् भोलेनाथ प्रशन्न होके प्रकट हो गए !

और उनसे बोले - वत्स वरदान मांगो ! 
भाटिया जी बोले - भोले नाथ , मुझे कुछ नही चाहिए बस मेरे बीबी बच्चो के पास मुझे वापस भेज दो !  
भोलेनाथ - तथास्तु ! और भाटिया जी जर्मनी पहुँच गए !
योगीन्द्र मोदगिल जी ने भी यही वरदान माँगा और उनको भी भोले नाथ ने पानीपत भेज दिया ! 

अब ताऊ रामपुरिया सोचने लगा की मैं क्या करूँ ? अब अकेला कैसे रहूंगा ? 
और घर वापस गया तो ताई मारेगी लट्ठ से ! इस तरह संन्यास लेकर घर लौटने से जग हंसाई होगी सो अलग ! बड़ी परेशानी में फंस लिया ताऊ तो ! 

अब भोले नाथ बोले - ताऊ फ़टाफ़ट मांग वरदान ! हमारे पास समय बहुत कम है ! 
ताऊ - भोले नाथ जी आप तो वरदान स्वरुप राज भाटिया जी और योगीन्द्र मोदगिल जी को वापस युहीं बुलवा दो ! 

और भोले नाथ - तथास्तु कह कर अंतर्धान हो गए ! और इब फ़िर से तीनो ताऊ उसी गुफा में तपस्या कर रहे हैं ! आपको भी इनसे कुछ काम हो तो इन तीनो सिद्ध पुरुषों का पता हमारे पास है ! आप को भी अवश्य लाभ होगा ! आख़िर सिद्ध ताऊ हैं तीनो ! अब बस संसार के दुःख कष्ट मिटाने का ही कार्य करते हैं ! 



Wednesday, October 29, 2008

ताऊ का नया जूता

आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ! हम आपको व्यक्तिगत रूप से आकर दीपावली की शुभकामनाएं नही दे सके ! क्योंकि हमारी पन्डताइन  की तबियत ठीक नही थी ! सो हम आप लोगो से दूर रहे ! और इसके लिए हम आप से क्षमा चाहते हैं ! आइये आपको एक बिल्कुल ताजा किस्सा सुनाता हूँ ! 

कल दीपावली मिलने या कहिये साल भर के पापो का प्रायश्चित करने ताऊ रामपुरिया  के घर गए थे ! वहाँ जाकर मिठाई विठाई खा पीके वापस आने लगे तो बिजली गुल हो गई ! तो ताऊ उठकर खड़े हो गए और टॉर्च लेके हमारे आगे २ हो लिए ! 

हमने कहा - ताऊ रास्ता हमारा रोज का देखा हुवा है हम चले जायेंगे ! आप कहाँ कष्ट करेंगे ?

इस बात पर ताऊ कहने लगे - यार तिवारी साहब , मैंने कोई आपको रास्ता दिखाने के लिए टॉर्च थोड़ी उठाई है ? अरे टॉर्च तो मैंने इस लिए उठाई है की आप कहीं अंधेरे में आपके  पुराने जूते छोड़ कर मेरे नए जूते नही पहन कर निकल लो ! 

 

Tuesday, October 21, 2008

शक्ल ही नही आदत भी बहुत मिलती है ताई से !


ताऊ अपने घर पर जाकर गप्पे मार रहा था की आफिस में मेरे नीचे ४० आदमी काम करते हैं ! तो ताई ने पूछा - फ़िर तो तुम बहुत बड़े अफसर होगे ? अब ताऊ बोला - नही नही वो बात नही है ! असल में मेरा आफिस ऊपर की मंजिल पर है और मेरे नीचे की मंजिल पर जो आफिस है उसमे ४० आदमी काम करते हैं ! इस बात पर ताई को गुस्सा आगया ! और उसने ताऊ का गला पकड़ कर कहा - अब काम धंधा शुरू कर दो नही तो तुम्हारी खैर नही है ! बहुत दिन हो गए उल्टे सीधे धंधे करते हुए !  कोई सलीके का काम करो ! और दो लट्ठ ताऊ पर बजा दिए !

अब ताऊ को बड़ी चिंता लगी की अब क्या काम करे ! ताऊ की पहचान कुछ ज्यादा ही थी सो ताऊ को क्रिकेट टीम की कप्तानी मिल गई ! शर्त ये थी बोर्ड वालो की - मैच जिताओगे तो ही अगले मैच की कप्तानी मिलेगी !   अब इससे ज्यादा अच्छा धंधा और क्या मिलता ? मैच जिताने की जिम्मेदारी ताऊ की ! ताऊ बोर्ड से बोला - आप चिंता ही मत करो ! हमको कप्तान बना दिया तो मैच जीता ही समझो !  रोहतक के स्टेडियम में मैच शुरू होने वाला था ! ताऊ एम्पायर के पास गया टोस के पहले और बोला - एम्पायर साब , वैसे तो आप आदमी इमानदार लगते हैं फ़िर भी मैं आपसे हमारे हक़ में इमानदार होने की अपेक्षा रखता हूँ ! वैसे ये उतार दिशा  में स्टेडियम से लगी इमारत है वो असपताल है और दक्षिण में जो नदी बह रही है वो बहुत ही गहरी है ! इसमे डूबने के बाद कोई बचता नही है ! और इस मैदान में मेरी टीम कभी कोई मैच आज तक  हारी नही है आगे आप समझ दार हो ! ताऊ की धमकी काम कर गई और एम्पायर ने मैच ताऊ की टीम को जिता  दिया ! 

चारो तरफ़ ताऊ की जय जयकार होने लगी ! और अगले मैच के लिए ताऊ उसकी टीम के साथ मुम्बई जाने के लिए हवाई जहाज में सवार हो लिया ! जैसे ही हवाई जहाज में चढ़ा , सामने खडी एयर होस्टेस ने ताऊ को मुस्कराकर नमस्ते किया ! जवाब में ताऊ ने मुस्करा कर  नमस्ते का जवाब देकर कहा - तुम्हारी शक्ल मेरी बीबी से बहुत मिलती है ! अब एयर होस्टेस को गुस्सा आगया और ताऊ को एक जोरदार तमाचा जड़ दिया !  ताऊ गाल सहलाते सहलाते बोला - शक्ल ही नही आदत भी बहुत मिलती है ताई से  ! 



 


Friday, October 17, 2008

ताऊ के कारनामे

बहुत साल पहले की बात है ! ताऊ को उन दिनों में वर्त्तमान ताई से प्यार हो गया था ! ताऊ बड़ी हिम्मत करके  ताई के पिताजी के पास पहुंचा ! और बोला- मैं तुम्हारी लड़की का हाथ माँगने आया हूँ ! लड़की के पिता जी ने ताऊ को बड़े प्रेम से बैठाया और जाकर एक लट्ठ ले कर आगया ! और ताऊ को खूब लठ्ठों से धो दिया ! 

बाद में ताऊ का एक बड़ा भाई था भाटिया जी ! उन्होंने ताई के पिताजी से बात कर के दोनों की शादी करवा दी ! 

एक रात घनघोर पानी बरस रहा था, बिजली कड़क रही थी ! ताऊ भीगता भागता हलवाई की दूकान पर पहुंचा !
हलवाई ने पूछा - ताऊ तुम शादी शुदा दिखते हो ?

ताऊ नाराज होकर जोर से बोला- अरे बावली बूच कहीं के ! ये भी कोई पूछने की बात है ? जाहिर है इस तूफानी 
रात में मैं मेरी मां के कहने से तो रस-मलाई लेने नही आता ! 

Wednesday, October 8, 2008

तिवारीसाहब के विचार दशहरे पर आज के सन्दर्भ में

आज सुबह सुबह पन्डताईन ने सब्जी मंडी की लिस्ट पकडा दी ! दशहरे की बड़ी रौनक है ! बच्चे भी रावण जलाने की जोगाड़ में लकडी वगैरह कबाड़ने के चक्कर में हैं ! अनेक वृक्षों  की बली आज पक्की है ! आजकल तिवारी साहब ओशो की "प्रीतम छवि नैनन बसी " पढ़ रहे हैं ! रात को उसी को पढ़ते हुए एक कविता नुमा बंदिश पढी ! आज के सन्दर्भ में , बड़ी उपयुक्त लगी ! सोचा , आपसे शेयर कर लूँ ! मैंने ये ताऊ रामपुरिया को दिखाई ! उन्होंने भी पसंद की ! ताऊ के पास ओशो बुक्स का अथाह भण्डार है ! उनसे ही मांग कर लाया था, पढने के लिए !  मैंने कहा - मेरे नाम से छाप देता हूँ, थोड़े बहुत शब्दों के हेर-फेर के साथ  ! ताऊ बोले - तिवारी साहब यहाँ मर्यादा वादियों के चक्कर में पड़ गए तो ब्लागिंग भूल जाओगे ! आप तो रिफरेन्स देदो ! अगर जूते ही खाने हैं तो मत दो ! तो अब ओशो तो इस विधा में बड़े प्रवीण रहे हैं ! सो अगर वैसी कोई बात हो तो सवाल जवाब ओशो से करे ! अगर वो नही मिले तो ताऊ की खुपडिया पर लट्ठ बजा ले ! क्योंकि दोष सारा ताऊ का है ! ऐसी किताब हमको पढने को दी ही क्यूँ ! तिवारी साहब का कोई दोष नही है !  और वैसी कोई बात नही हो तो ये कविता पूरी तरह तिवारी साहब की है !    

राम द्वारा सीता-अपहरण के बाद
राम ने अपने भक्त हनुमान को बुलाया
और भरे हृदय से यह बताया---
दुनिया कुछ भी कहे,
तू मेरा दास है
पर मुझे अपने से भी ज्यादा
तुझ पर विश्वास है !
जाओ, जल्दी से जाओ,
सीता को खोज कर लाओ
यह मेरी निशानी देकर
उसे तसल्ली दे आओ !

हनुमान ने रामचन्द्रजी के पैर छूये
सीता की खोज मे रवाना हुये
रावण के दरबार मे पहुंचे
उसे देख कर 
गुस्से मे जबडे भींचे
कहा--दुष्ट सीता को लौटा दे
क्यों मरने को तैयार हो रहा है ?

पर कलियुग का रावण होंशियार था 
उसने बडे प्यार से हनुमान जी को गले लगाया
और समझाया--
देख यार
तू जंगल मे पडा-पडा
क्यों अपनी जवानी बरबाद कर रहा है ?
भूख से तेरा पेट कितना सिकुड रहा है !
मैं चाहूं तुझे लखपति बना दूं
मेरे मन्त्रिमन्डल मे एक जगह खाली है 
तू कहे तो तुझे मन्त्री बना दूं !

सुनते ही
पत्थर से भी ठोस हनुमान जी 
ढीले पड गये
वे राम के तो पैर छूते थे
पर रावण के पैरों मे पड गये !
बोले--
माई--बाप !
सीता का तो केवल बहाना था.
मुझे तो वैसे ही आपके पास आना था 
अरे ! मैं आपके इस एहसान की कीमत 
कैसे चुकाऊं ?
आप मेरी पूंछ मे आग लगवा दे 
तो उस राम की अयोध्या फ़ूंक आऊं
मैं उसकी किस्मत कभी भी फ़ोड सकता हूं 
आपके मन्त्रिमन्डल मे 
एक जगह और भी खाली हो 
तो लक्ष्मण को भी तोड सकता हूं 
इस गद्दी के लिये एक सीता तो क्या 
हजार सीताएं आपके पास
छोड सकता हूं !
आप भी बेवकूफ़ हैं,
कहीं कलियुग मे
सीता चुराते हैं !   
अरे,
पद के लिये तो आज के राम
अपने आप
आपके पास चले आयेंगे
और अपनी सीता
खुद आपके पास छोड जाएंगे !

आप सबको दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं !  



  

Saturday, October 4, 2008

ताई का अपहरण

बड़ी फिक्र में पडा ताऊ 
क्योंकि कल दिन दहाड़े
क्लब के सामने वाली सड़क पर 
ताई का अपहरण हो गया !

एक संदेश आया  
बीस लाख रुपये २४ घंटे में 
भूतमहल वाली पहाडी की तलहटी में 
शिव-मन्दिर के पीछे रख दिए जाएँ ! 

यह रकम हम ख़ुद ही आकर 
संभाल लेंगे 
और ऐसा नही किया तो 
ताई को वापस भेज देंगे !

तू कैसे रहता है  इसके साथ ?
क्या तू कोई जट्ट है ?
अरे ये तो बात करने के पहले ही 
मारती चार लट्ठ है !

 
(नोट : ताऊ रामपुरिया के बारे में नही है !)





 

 







Sunday, September 28, 2008

जादूगर

जादूगर बोला
आग उगलुन्गा, समुद्र पी जाउंगा
ये तो कुछ भी नही
चार दिन पहले मरे लोगो को
कल के मजमे में जिंदा करूंगा !

एक जवान औरत आई, और बोली
ये क्या गजब कर रहे हैं ?
परसों मेरा पति मरा था
कल मैंने नई शादी की है !
अरे अगर उसको जिंदा कर दोगे
तो अब क्या मैं दो दो पति रक्खूंगी ?

एक नवयुवक आया और बोला,
ऐसा गजब मत करना
मेरा बाप ३ करोड़ छोड़ कर कल ही मरा है !
अगर उसको जिंदा करोगे तो
मेरा करोड़ों का नुक्सान हो जायेगा !
तुम ऐसा करो ये ५० हजार थामो
यहाँ से चलते बनो
और ऐश करो !

Friday, September 19, 2008

चरित्र का दोगलापन

हम ज़रा बाहर चले गए थे इस वजह से आप लोगो से रूबरू नही हो सके !अब लौट आए हैं तो नियमित होने की कोशीश करेंगे ! असल में यार लोगो ने हमारी छवि बिगाड़ कर रख दी है ! यकीन मानिए तिवारी साहब जैसे हैं वैसे हैं !हम आपको जैसे दीख रहे हैं वैसे ही हैं ! हमारे पास दिखावा नही है की हम ऊपर सेहिन्दी दिवस मनाए और उस पर लेक्चर पिलाए और मालुम पड़े सारा कुनबा ही अन्ग्रेज़ी में डूबा पडा हो ! हमको ज्यादा बकबास करने की आदत तो है नही और हम काहे को बताएँगे की ये दिवस मनाने वाले ही ख़ुद अंग्रेजी में डुबे पड़े है ! और ये हमने आपको नही बताया है ! कहीं कोई हमारे सर पर सवार हो जाए !

एक तथाकथित ज्ञानी थे ! कथा प्रवचन कर रहे थे ! वहीं एक भद्र महिला भी उनके प्रवचन सुन रही थी ! थोड़ी देर में उस औरत का छोटा बच्चा जो साथ में था वो जोर जोर से चिल्लाने लगा ! महिला को कथा में रस आ रहा था ! सो बच्चे के रोने पर ध्यान नही दिया ! असल में बच्चे को पेशाब आ रहा था ! जब नाकाबिले बर्दाश्त हो गया तो बच्चा जोर से चिल्ला कर बोला -- मूतना है ॥ मूतना है ...... ! इतना सुनते ही ज्ञानी जी को क्रोध आ गया ! और लगे उस महिला को बुरा भला कहने ! अरे बच्चों को अच्छी तरह बोलना सिखाओ , उनको अच्छे संस्कार दो .. आदि ..आदि.. अब ये कोई बात हुई की पूरी धर्म सभा में इतने जघन्य वचनबोल रहा है !

अब महिला ने पूछा की बाबाजी आप ही बतादो की ॥पेशाब करने की जगह ये क्या बोले ? बाबा बोले -- इसको सिखाओ की जब भी पेशाब करना हो ये बोल दे की गाना गाना है ! महिला बिचारी सीधी साधी थी ! बोली - ठीक बाबाजी ! अब बच्चे को आदत हो गई कीजब भी पेशाब आए वो कहे की गाना गाना है और महिला भी खुश की बाबाजी तो परम ज्ञानी हैं ! बच्चे को कितने सुंदर संस्कार सीखाये हैं ! वाह बाबाजी वाह !

कुछ समय बाद यही ज्ञानी महात्मा इसी महिला के घर आकर ठहरे और वो बच्चा भी थोडा बड़ा हो चुका था ! पर उसमे गाना गाने की वही आदत थी ! दोपहर का समय था !महिला बोली की बाबाजी आप बच्चे को संभालना मैं ज़रा बाजार से शाम की कथा के लिए कुछ सामान ले आती हु !

बच्चा बाबाजी के साथ ही उनकी खटिया पर सो गया ! और बाबा की नींद लग गई !जब बाबाजी गहरी नींद में थे तो बच्चा बोला - बाबाजी गाना गाना है ! अब बाबाजी को यह याद नही रहा की उन्होंने कोई इस तरह की शिक्षा भी दे रखी थी ! उन्होंने सोचा की कोई स्कुल की कविता वविता पढ़ने की इच्छा हो रही होगी ! बाबाजी ने कहा की अभी तू भी सो जा मुझे भी नींद आ रही है ! बच्चे ने जब ज्यादा जिद्द की की नही मुझे तो अब गाना ही है तब बाबाजी बोले यार क्यूँ नींद ख़राब कर रहा है ?उन्होंने सोचा की बच्चा है अब बिना गाये मानेगा नही और अब इसका गाना सुनना ही पडेगा ! सो वो बच्चे को बोले -- तू एक काम कर की तेरा गाना मेरे कान में धीरे धीरे सूना दे ! बच्चा परेशान तो था ही ! उठ कर जो कान में गाना सुनाया तो बाबाजी का तो सारा ज्ञान निकल गया ! तो साहब हम इस तरह उधार जीवन नही जीते ! तिवारी साहब तो जो हैं वो हैं ! कोई झूँठ सच नही ! हमारे अन्दर इस तरह के संस्कार नही है !

दोस्त ने दिल का हाल बताना छोड़ दिया !
हमने भी अब गहराई में जाना छोड़ दिया !!
जब उसे हमारी कमी का एहसास नही !
तो हमने भी उसे याद दिलाना छोड़ दिया !!

Tuesday, September 9, 2008

" तिवारी साहब" की चवन्नियां

तिवारी साहब पन्डताइन को लिवाने ससुराल गए थे !
वहाँ इस बार बड़ा आनंद दायक माहौल था ! और
वहां पर शेरो शायरी का कुछ अच्छा माहौल जम गया था !
आप भी तिवारी साहब की वहा पर सुनी सुनाई चवन्नी
छाप शायरी की दो चवन्नियों का लुत्फ़ उठाइये !

पहली चवन्नी :-

मैं सूंघ लेता अगर तुम खुशबू होती !
जवाब देता अगर तुम सवाल होती !
सब जानते हैं की मैं कभी पीता नही ?
फ़िर भी पी लेता अगर तुम शराब होती !

दूसरी चवन्नी :-

वो पास रहते तो हम बात कर लेते !
वो यहीं रहते तो हम प्यार कर लेते !
क्या परेशानियां रही, जो वो चले गए ?
कारण तो बताते, हम इंतजार कर लेते !

पुनश्च:-

( हमारे जाने के बाद ताउजी ने हमारे बारे में
बहुत उलटा सीधा लिखा है ! और सुना है ताऊ
आजकल कटोरा फेंक कर, बैंक के बाहर, भुट्टे
मूंगफली सेक कर बेच रहे है ! ठीक है वो चाहे
जो लिख सकते हैं तो "तिवारी साहब" भी अगली
पोस्ट में इसका जवाब देंगे !
तब तक " तिवारी साहब"की सलाम लीजिये )

Tuesday, September 2, 2008

थम थारी अठ्ठन्नी थारै धोरै राखो !

आज आपको मैं एक असली ताऊ की कहानी सुनाता हूँ ! दोस्तों, इस सच्ची घटना का सम्बन्ध हमारे ताऊ रामपुरिया जी से नही है ! कभी वो नाराज हो जाएँ ! और वो हमेशा अपनीगलती की वजह से ताई से "मेड इन जर्मन" लट्ठ से पिटते रहते हैं ! और नाम इसमे बदनाम होता है पहला तो राजभाटिया जी का और दूसरा ले दे कर मेरा ! जबकि ताऊ काहम दोनों से बड़ा शुभचिंतक कोई नही है !


एक ताऊ उस समय भीख माँगने का काम करता था ! पढा लिखा तो था नही , सो इससे अच्छा धंधा ताऊ को और क्या मिलता !


पहले ताऊ ने एक जगह किराए पर एक मस्जिद के बाहर ली !और कटोरा हाथ में लेके अपनी दूकान लगाली ! पर वहाँ भी दूकान चली नही ! सिर्फ़ किराया चुकाने जितना पैसा कटोरे में आता था !


फ़िर ताऊ ने वहाँ छोड़ कर मन्दिर , गुरुद्वारे और चर्च सब जगह अपनी दूकान लगाई ! पर कहीं भी बात बनी नही ! और एक दिनताऊ उदास उदास सा मेरे पास आया और बोला -- यार तिवारी साहब क्या बताऊँ ? बहुत घाटा हो गया !


मैंने कहा -- यार ताऊ क्यों बेवकूफ बना रहा है ? तेरा भीख माँगने का धंधा है, और इस धंधे में घाटे का क्या काम ?ताऊ बोला - अरे बावली बूच ! तन्नै बेरा कोनी के ? अरे आजकल भीख माँगने के लिए भी चार-पाँच हजार रुपये तो ठीये पर बैठने का किराया भाई लोगो को देना पङता है ! और आज तक भी इतनीभीख मिली नही ! पता नही पहले तो इन जगहों पर सुना था , अच्छी मजदूरी मिला करती थी ! पर आज कल लोग यहाँ भी कंजूसी दिखाने लग गए !


मैंने कहा -- ताऊ तू एक काम कर ! मेरे साथ चल !
और मेरी तरह मशीन पार्ट की दुकान लगाले !
ताऊ बोला -- भाई यो म्हारै बस की बात नही सै !
फ़िर मैंने कहा -- ताऊ एक फुल प्रूफ आइडिया आया सै म्हारै दिमाग मैं !
ताऊ बोला -- जल्दी बताओ तिवारी साहब !
मैंने कहा -- ताऊ तुम आज मेरे साथ मयखाने ( बार) हमारी मंडलीके साथ चलना !
ताऊ बोला -- अरे तिवारी साहब , मैं दारु वारु नही पीया करता !मैं वहाँ क्या करूंगा ?
तुमको ही मुबारक हो !
मैं बोला - अर् ताऊ , बात तो पुरी सुना कर ! दारु तेरे को कौन पिलाता है ?
तू तो एक काम करना की आज तेरा कटोरा लेके हमारे साथ ही चलना !

हम तेरे को बार से थोडा पहले ही कार से उतार देंगे और दारुखाने वाला
हमारा दोस्त है ! वो किराया भी नही लेगा ! तू वहाँ भीख माँगने का धंधा शुरू कर दे !
ताऊ बोला - तेरी अक्ल ख़राब हो री सै के तिवारी ?


( आज तक हमको दुसरे तो क्या ? ख़ुद हमने अपने आपको
तिवारी साहब के अलावा कह कर नही बुलाया !
दुसरे की तो हमारे
सामने औकात ही क्या ? पर क्या करे ? ताऊ की दोस्ती जी का जंजाल !
इस ताऊ को धंधा भी ये पसंद आया ? पर क्या करे ? दोस्ती है तो भुगतो )


मैंने कहा -- देख ताऊ ! पहले तो अपनी जबान संभाल ! और फ़िर बात सुन !
हमको तिवारी नही तिवारी साहब कहके बुलाते हैं !
ताऊ बोला -- देखो जी तिवारी साहब ! साहब और जी कह कर तो हम
अपने बाबू को भी नही बुलाते ! सो थम थारी अठ्ठन्नी थारै धोरै राखो !
अब मैंने सोचा की ताऊ है कुछ उज्जड टाइप का ! इसका दिमाग फ़िर गया
तो मुश्किल ! और ताऊ से बिना मिले हम में से किसी को चैन नही !
सो ताऊ को नाराज भी नही करना था ! बस ये ही एक ताऊ है
जो हमको कभी कभी तिवारी कह लेता है !


सो हमने किसी तरह ताऊ को समझा बुझाके दारुखाने के बाहर कटोरा
दे के बैठा दिया ! अब जो भी शराबी पी के निकलता वो ही झूमता हुवा
आता और के ताऊ कटोरे में जेब के नोट पटक देता !
भाई ताऊ का तो कटोरा सिक्कों से नही, बल्कि नोटों से भर गया !


फ़िर हम भी पी पा कर टुन्न हो गए तो बाहर आए और ताऊ को इशारा
किया की अब उठ जा ! और चुप चाप आगे जा के खडा हो जा !
हम कार लेके आते हैं ! अब बहुत हो गया ! घर भी चलना है !


ताऊ बड़ बड़ा रहा था -- वाह परमात्मा ! आज तो बड़ी तगडी मजदूरी
करवाई तूने ! पर ये बात पहले क्यूँ नही बताई ? तू रहता तो यहाँ
शराब खाने में है ! और पता तूने मन्दिर का दे रखा है !
वाह रे भगवान !


( इस लेख में प्रयोग हुए हरयाणवी शब्दों को प्रयोग करने में ताऊ रामपुरिया जी ने मेरी पूर्ण रूपेण सहायता की है ! उनको तहे दिल से तिवारी साहब धन्यवाद देते हैं )


Monday, August 25, 2008

शहर से आए हो क्या ?

इसी साल जयपुर जाने का काम पडा ! रास्ते में एक जगह
उपरोक्त बोर्ड लगा देख कर उत्सुकता वश रुक कर देखा की
यह भयंकर ठंडी बीयर क्या होती है ? और ऐसी गरमी में
तिवारी जी को अगर ठंडी बीयर मिल जाए तो क्या कहने ?

अत: वहीं ढाबे पर हमने गाडी लगा कर पता किया ! गरमी
बहुत ज्यादा थी सो भयंकर ठंडी बीयर का सोच सोच कर ही
आत्मा तृप्त होती जा रही थी !

अन्दर ढाबे में खटिया पे बैठे और इतनी देर में आर्डर, जी
हाँ , आर्डर मास्टर , वेटर को वहाँ बैठे सभी ड्राइवर लोग इसी
नाम से बुला रहे थे ! हमने उससे कहा मास्टर जी आप चार
भयंकरतम ठंडी बीयर ला दो ! इस गरमी में जान निकल रही
है ! जल्दी करो !

अब आर्डर मास्टर चोंका ! बोला भयंकरतम ठंडी बीयर से
आपका क्या मतलब है ? हमने कहा - भाई बाहर सड़क
के बीचों बीच आपने बोर्ड लगा रखा है ! आर्डर मास्टर
मुस्कुराया और बोला - बाबूजी आप शहर से आए हो क्या ?
आपको इतना भी नही दीखता की यहाँ बिजली का कोई
इंतजाम नही है ! फ़िर भयंकर तो छोडो सिर्फ़ ठंडी बीयर
भी कहाँ से आयेगी ?

हमने पूछा - की भाई फ़िर बोर्ड पर ठीक से लिखवा दो !
वो - बोला , ये तो ग्राहक को फंसाकर यहाँ रुकवाने के
लिए लिखा रखा है ! पहले ये ढाबा भी नही चलता था !
तुम्हारी तरह के कोई बाबूजी ने यह सलाह हमारे सेठ
को दी थी , तबसे ढाबा चल, क्या दौड़ रहा है !

तभी पास की खटिया पर बैठे दो ड्राइवर हमारी
बातों का मजा ले रहे थे ! उनमे से एक बोला - बाबूजी
ये ग़लत क्या कहता है ! अरे बीयर की बोतल को जग
में खाली करलो और जितनी भयंकर ठंडी करनी हो
उतनी बर्फ उसमे पटक लो ! ये लो होगई भयंकर
ठंडी बीयर ! और मजे लो , जो इस जंगल में ऎसी
भयंकरतम ठंडी बीयर मिल गई ! और वो ड्राइवर
ये शेर .. या क्या है , हमको सुनाते हुए गुनगुना उठा !

मांगता हूँ तो देती नही , जवाब मेरी बात का !
देती है तो खडा हो जाता है , रोम रोम जज्बात का !!

और आर्डर मास्टर को खाना जल्दी लगाने के लिए
कुछ इस तरह आवाज लगा उठा -- छेती कर ओये
........ के टके ..... !

Sunday, August 24, 2008

राग दीपक उवाच


पूर्णिमा की रात में चाँद बदल जाते हैं !

वक्त के साथ वफादार बदल जाते हैं !!

सोचता हूँ तेरी याद में वक्त बरबाद ना करूँ !

पर सोचते सोचते कमबख्त विचार बदल जाते हैं !!

**********************************************

एक बदसूरत खातून से एक लफंगा बोला ! क्या बोला ?

लफंगा बोला : कुछ उधार चाहिए ! मिलेगा क्या ?

टालने के लिए खातून बोली - नही मेरे पास कुछ नही है !

लफंगे ने नया दांव खेला, और बोला, अरे तुम चाँद हो !

कुछ भी कैसे नही होगा चाँद के पास ? असंभव है ये !

कहते हैं खातून ने कलेजा निकाल के दे दिया इस लफंगे को !




Thursday, August 21, 2008

आदाब अर्ज है !

उसने दी जिन्दगी तो जी मैंने !

उसने लिखा पी, तो पी मैंने !!

गर मैं ना पीता तो ,

उसका लिखा ग़लत ना हो जाता !

उसके लिखे को निभाया ,


क्या खता की मैंने ?

Wednesday, July 30, 2008

परिचय राग-दीपक से

मैं आपका परिचय अपने ही राग से करवाउंगा !
यह राग अनवरत मेरे अंतर्मन में बजता ही रहता है !
मैं इसे सुनता ही रहता हूँ ! आपको भी
सुनाने की कोशीश करूंगा !
शायद आप सुन पायें !