यह राग अनवरत मेरे अंतर्मन में बजता ही रहता है ! मैं इसे सुनता ही रहता हूँ !
वाह वाह ! पीते रहिये तिवारी जी !और उसका नाम भी लेते रहिये !बढिया बहाना है ! भाभीजी को पताहै या ख़बर करनी पडेगी !
दीपक बाबू, भाई उन्होने तो चाय पीने के लिये कहा था , ओर आप तो देसी दारु ले कर बेठ गये,लेकिन आप की कविता बहुत अच्छी लगी, धन्यवाद
दीपक जी, आपतो पूरे पियक्कड़ दिख रहे हैं. कभी चंडीगढ़ आना हो तो बैठेंगे.मुकुंद09914401230
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वाह वाह ! पीते रहिये तिवारी जी !
और उसका नाम भी लेते रहिये !
बढिया बहाना है ! भाभीजी को पता
है या ख़बर करनी पडेगी !
दीपक बाबू, भाई उन्होने तो चाय पीने के लिये कहा था , ओर आप तो देसी दारु ले कर बेठ गये,लेकिन आप की कविता बहुत अच्छी लगी, धन्यवाद
दीपक जी, आपतो पूरे पियक्कड़ दिख रहे हैं. कभी चंडीगढ़ आना हो तो बैठेंगे.
मुकुंद
09914401230
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