हम सभी को सावधान कर देना चाहते हैं की आज कल ताऊ की याददाश्त कमजोर पड़ चुकी है और जिनसे उधार ले रक्खा है, वो याददाश्त तो पुरी तरह बेकार हो चुकी है। निचे का वाक़या आप पढ़ लीजिये और ख़ुद फैसला कर लीजिये।
ताऊ और ताई को आजकल ऐसा महसूस होने लगा है की उनकी याददास्त कमजोर हो चली है। इसके लिए उन्होंने डाक्टर से चेक अप करवाने का फैसला किया और रामप्यारी को साथ लेकर एक् डाक्टर के पास पहुंच गए.
डॉक्टर ने बड़ी बारीकी से उनका परीक्षण किया और बताया कि उन्हें कोई बीमारी नहीं है। बुढ़ापे में इस तरह के लक्षण स्वाभाविक हैं। कोई फ़िकर करने जैसी बात नहीं है.
इस पर ताऊ बोला की अजी दागदर जी हमको तो कुछ भी याद नहीं रहता. और रामप्यारी ने भी हां मे हां मिलाई. वैसे रामप्यारी को इस भूलने वाली बीमारी से बडा फ़ायदा था. क्योंकि वो जब भी सामान लाने जाती तब बाकी पैसों की चाकलेट खा जाती थी और भूलने की वजह से ताऊ या ताई उसको पकड नही पाते थे. वो जो भी हिसाब बतादे वो सही.
खैर डाक्टर ने उनको कहा कि महत्वपूर्ण कार्यों को लिखकर रख लें जिससे कोई जरूरी काम न भूलें।
ताऊ और ताई ने डॉक्टर का धन्यवाद किया. अब डाक्टर ने कहा - मेरी फ़ीस के पांच सौ रुपये दिजिये.
अब ताऊ बोला - किस बात के रुपये?
डाक्टर बोला - मैने आपकी जांच की है, उस बात की फ़ीस.
ताऊ बोला - जी डाक्दर साब मन्नै तो बेरा कोनी? याद आवैगी तो भिजवा दूंगा.
और वो तीनो घर चले गये. उस रात को टीवी देखते समय ताऊ उठकर कहीं जाने लगा तो ताई ने पूछा - ''कहां जा रहे हो ?''
ताऊ ने जवाब दिया - ''रसोईघर में'.
ताई बोली - ''मेरे लिये एक कप चाय लेते आना''
ताऊ बोला - ''ठीक है, ले आऊंगा।''
इस पर ताई बोली - ''मेरे खयाल से तुम इसे नोट कर लो नहीं तो भूल जाओगे।''
ताऊ बोला - ''नहीं भूलूंगा, तुम चिंता मत करो.
अब ताई बोली - ''ठीक है, मेरे लिये कुछ खाने को भी लेते आना।
ताऊ बोला - के लाऊं तेरे खाने के लिये?
ताई बोली - मेरा तो आज व्रत है ज्यादा कुछ नही थोडी सी आलू चिप्स ही लेते आना.'
ताऊ - ठीक है , ले आऊंगा।''
अब ताई फ़िर बोली - ''मुझे लगता है तुम लिख लेते तो ठीक था। कहीं भूल न जाओ।''
अब ताऊ नाराज सा होकर बोला - अरे भागवान नही भूलूंगा । मुझे तुम्हारे लिये एक कप चाय और आलू चिप्स ही तो लानी है ना?ठीक है इतना तो मैं याद रख ही सकता हूं। ''
लगभग आधे घण्टे बाद ताऊ एक कटोरे में आइसक्रीम और एक प्लेट में मठरी लेकर आया।
ताई ने यह देखते ही आग बबूला होकर मेड-इन-जर्मन लठ्ठ ऊठाया और चिल्लाई - ''तुमसे कहा था ना कि लिखकर ले जाओ वरना भूल जाओगे। बताओ मेरे आलू के परांठे कहां है ?''
और रामप्यारी ताई को लठ्ठ ऊठाते देख कर पहले ही वहां से खिसक ली. और ताऊ का हालचाल तो आप लोग फ़ोन कार्के पूछ लेना. बिल्कुल ताजा किस्सा है ये. ऐसी हालत मे ताऊ आपसे उधार लेकर भूल गया तो हमको दोष मत दिजियेगा.हमने आपको पहले ही सावधान कर दिया है.
खालीपन
1 day ago
15 comments:
tau ji ki bhulne k iaadat se rampari ke maze ho gaya,roj choclatekahne ke,:)mazedar lekh
हा हा हा हा हा हा हा हा रामप्यारी का कैट स्कैन भी काम नहीं आया लगता है......भगवान भली करें....."
Regards
:) बढ़िया लिखा है
रामप्यारी का स्वभाव भी सब को जल्दी ही समझ आ रहा है!
ताऊ तो ताऊ यहाँ तो ताई भी भूल गयीं????आलू चिप्स बन गए परांठे!
मजेदार प्रसंग लिखा है!
भाई दीपक जी, यो तो आपनै घणी बढिया खबर सुनाई......म्हानै तो खुद ताऊ तै पैसे उधार ले राखे थे...इब ताऊ की य़ादासत खू गी तो पैसे वापिस देने का तो सवाल ई कोणी..म्हारे पीसे बी बचगे...धन्यवाद
चलो, अब शायद बे सिर पैर की लंतरानियों से मुक्ति मिल जाए।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
हैल्लो ताऊ।
तेरा के हाल सै।
अरे सब उल्टा पुल्टा हो गया ये तो परांठे..
आप का ब्लोग मुझे बहुत अच्छा लगा और आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !
आप के ब्लाग पर पहली बार आया और आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।
बहुत खूब तिवारी साहब ,मज़ा आ गया ...बीते दिनों कहाँ गायब हो गए थे आप ??
बहुत ही सुंदर,
धन्यवाद........आपने अच्छी जानकारी दी है .....
अन्दर तो छोडिये साब ...छत पर लेट कर भी कोई समाधान नही खोज पता । इसे जड़ता नही कहा जाए तो और क्या ?हालत तो ऐसी है की जब अपनी ही पीडाओं का पता नही तो दूसरों ......!
अभी भी रोटी के संघर्ष को नही जान पाया । कैसे माफ़ किया जाय मुझे ......
घर और मुल्क की गरीबी का कोई प्रभाव नही पड़ा । कैसे माफ़ किया जाय मुझे ......
Bahut sundar rachana..maja aa gaya.
Regards.
DevPalmistry |Lines tell the story of ur life
भाई दीपक जी,
अचानक आज आपके ब्लोग पर पहुचा, आप बडा ही अच्छा लिखते है। आगे भी पढना चाहेगे आपको।
आभार/मगलकामना
महावीर बी सेमलानी "भारती"
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
तिवारी साहब, जो भी नया लिखा है उसे यहाँ ब्लॉग पर तुंरत लाया जाए. अरसा बीत गया, कहाँ हैं आप?
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