Friday, September 19, 2008

चरित्र का दोगलापन

हम ज़रा बाहर चले गए थे इस वजह से आप लोगो से रूबरू नही हो सके !अब लौट आए हैं तो नियमित होने की कोशीश करेंगे ! असल में यार लोगो ने हमारी छवि बिगाड़ कर रख दी है ! यकीन मानिए तिवारी साहब जैसे हैं वैसे हैं !हम आपको जैसे दीख रहे हैं वैसे ही हैं ! हमारे पास दिखावा नही है की हम ऊपर सेहिन्दी दिवस मनाए और उस पर लेक्चर पिलाए और मालुम पड़े सारा कुनबा ही अन्ग्रेज़ी में डूबा पडा हो ! हमको ज्यादा बकबास करने की आदत तो है नही और हम काहे को बताएँगे की ये दिवस मनाने वाले ही ख़ुद अंग्रेजी में डुबे पड़े है ! और ये हमने आपको नही बताया है ! कहीं कोई हमारे सर पर सवार हो जाए !

एक तथाकथित ज्ञानी थे ! कथा प्रवचन कर रहे थे ! वहीं एक भद्र महिला भी उनके प्रवचन सुन रही थी ! थोड़ी देर में उस औरत का छोटा बच्चा जो साथ में था वो जोर जोर से चिल्लाने लगा ! महिला को कथा में रस आ रहा था ! सो बच्चे के रोने पर ध्यान नही दिया ! असल में बच्चे को पेशाब आ रहा था ! जब नाकाबिले बर्दाश्त हो गया तो बच्चा जोर से चिल्ला कर बोला -- मूतना है ॥ मूतना है ...... ! इतना सुनते ही ज्ञानी जी को क्रोध आ गया ! और लगे उस महिला को बुरा भला कहने ! अरे बच्चों को अच्छी तरह बोलना सिखाओ , उनको अच्छे संस्कार दो .. आदि ..आदि.. अब ये कोई बात हुई की पूरी धर्म सभा में इतने जघन्य वचनबोल रहा है !

अब महिला ने पूछा की बाबाजी आप ही बतादो की ॥पेशाब करने की जगह ये क्या बोले ? बाबा बोले -- इसको सिखाओ की जब भी पेशाब करना हो ये बोल दे की गाना गाना है ! महिला बिचारी सीधी साधी थी ! बोली - ठीक बाबाजी ! अब बच्चे को आदत हो गई कीजब भी पेशाब आए वो कहे की गाना गाना है और महिला भी खुश की बाबाजी तो परम ज्ञानी हैं ! बच्चे को कितने सुंदर संस्कार सीखाये हैं ! वाह बाबाजी वाह !

कुछ समय बाद यही ज्ञानी महात्मा इसी महिला के घर आकर ठहरे और वो बच्चा भी थोडा बड़ा हो चुका था ! पर उसमे गाना गाने की वही आदत थी ! दोपहर का समय था !महिला बोली की बाबाजी आप बच्चे को संभालना मैं ज़रा बाजार से शाम की कथा के लिए कुछ सामान ले आती हु !

बच्चा बाबाजी के साथ ही उनकी खटिया पर सो गया ! और बाबा की नींद लग गई !जब बाबाजी गहरी नींद में थे तो बच्चा बोला - बाबाजी गाना गाना है ! अब बाबाजी को यह याद नही रहा की उन्होंने कोई इस तरह की शिक्षा भी दे रखी थी ! उन्होंने सोचा की कोई स्कुल की कविता वविता पढ़ने की इच्छा हो रही होगी ! बाबाजी ने कहा की अभी तू भी सो जा मुझे भी नींद आ रही है ! बच्चे ने जब ज्यादा जिद्द की की नही मुझे तो अब गाना ही है तब बाबाजी बोले यार क्यूँ नींद ख़राब कर रहा है ?उन्होंने सोचा की बच्चा है अब बिना गाये मानेगा नही और अब इसका गाना सुनना ही पडेगा ! सो वो बच्चे को बोले -- तू एक काम कर की तेरा गाना मेरे कान में धीरे धीरे सूना दे ! बच्चा परेशान तो था ही ! उठ कर जो कान में गाना सुनाया तो बाबाजी का तो सारा ज्ञान निकल गया ! तो साहब हम इस तरह उधार जीवन नही जीते ! तिवारी साहब तो जो हैं वो हैं ! कोई झूँठ सच नही ! हमारे अन्दर इस तरह के संस्कार नही है !

दोस्त ने दिल का हाल बताना छोड़ दिया !
हमने भी अब गहराई में जाना छोड़ दिया !!
जब उसे हमारी कमी का एहसास नही !
तो हमने भी उसे याद दिलाना छोड़ दिया !!

12 comments:

योगेन्द्र मौदगिल said...

भई वाह....... वाह क्या प्रस्तुति है आपकी ...तिवारी साहब...
बाबा भी याद रखेगा...
गाना.....!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

shelley said...

katha me ras hai. achchha laga

राज भाटिय़ा said...

**तिवारी साहिब जी** बिना बताये पहले तो छुट्टी पर भाग गये, ओर उपर से अपने बेटे से बाबा जी कान मे गाना भी गवा दिया, भाई हम तो भुतनाथ की सेवा लेना चाहते थे, लेकिन वह भी गायव था.यह बच्चा आप का तो नही था

जितेन्द़ भगत said...

जब उसे हमारी कमी का एहसास नही !
तो हमने भी उसे याद दिलाना छोड़ दिया !!

(पि‍छे मुड़कर देखने में पि‍छड़ने का खतरा रहता है)
अच्‍छी पोस्‍ट।

अनूप शुक्ल said...

मजेदार!

Smart Indian said...

मज़ा आ गया तिवारी साहब. ऐसे गुस्सेबाज़ तो रोजाना ही गाना सुनने के लायक हैं.

नीरज गोस्वामी said...

tiwari जी आप की कमी khal रही थी...aesi पोस्ट जो नहीं मिली पढने को...khoob लिखा है भाई...
नीरज

Udan Tashtari said...

वाह तिवारी साहब, वापस आ गये-स्वागत है फिर से. अब नियमित बने रहिये.

Ashok Pandey said...

सही बात कही है तिवारी साहब आपने। पाखंडी लोगों ने ही इस सुंदर देश का सत्‍यानाश किया है।

बाबाजी और बच्‍चे की कथा मजेदार रही। ऐसे बनावटी लोगों का यही इलाज है।

भाई, हमारे हिन्‍दीसेवी लोग तो हिन्‍दीप्रेम का पाखंड ही करते हैं। वरना हिन्‍दी की आजादी के लिए सब मिलकर करो या मरो का संघर्ष छेड़ दिए होते तो कब का भाग गयी होती अंगरेजी महारानी। गोरे अंगरेजों से हिन्‍दुस्‍तान को आजाद करा लिया गया तो काले अंगरेजों से हिन्‍दी को आजाद कराना कौन मुश्किल काम है। लेकिन यहां तो हिन्‍दी की अगुवाई करनेवाले ही आडंबर की चादर ताने बैठे हैं।

विक्रांत बेशर्मा said...

तिवारी साहब...बहुत ही अच्छी और ज्ञानवर्धक प्रस्तुति है....बाबा लोगों को बच्चों के गाने दूर रहना चाहिए :D

seema gupta said...

दोस्त ने दिल का हाल बताना छोड़ दिया !
हमने भी अब गहराई में जाना छोड़ दिया !!
जब उसे हमारी कमी का एहसास नही !
तो हमने भी उसे याद दिलाना छोड़ दिया !!
" wow wonderful, beautiful composition"

regards

Anonymous said...

जब उसे हमारी कमी का एहसास नही !
तो हमने भी उसे याद दिलाना छोड़ दिया !!


Tiwari Sahab bahut swabhimani line hai.
Maza aa gaya