Tuesday, September 9, 2008

" तिवारी साहब" की चवन्नियां

तिवारी साहब पन्डताइन को लिवाने ससुराल गए थे !
वहाँ इस बार बड़ा आनंद दायक माहौल था ! और
वहां पर शेरो शायरी का कुछ अच्छा माहौल जम गया था !
आप भी तिवारी साहब की वहा पर सुनी सुनाई चवन्नी
छाप शायरी की दो चवन्नियों का लुत्फ़ उठाइये !

पहली चवन्नी :-

मैं सूंघ लेता अगर तुम खुशबू होती !
जवाब देता अगर तुम सवाल होती !
सब जानते हैं की मैं कभी पीता नही ?
फ़िर भी पी लेता अगर तुम शराब होती !

दूसरी चवन्नी :-

वो पास रहते तो हम बात कर लेते !
वो यहीं रहते तो हम प्यार कर लेते !
क्या परेशानियां रही, जो वो चले गए ?
कारण तो बताते, हम इंतजार कर लेते !

पुनश्च:-

( हमारे जाने के बाद ताउजी ने हमारे बारे में
बहुत उलटा सीधा लिखा है ! और सुना है ताऊ
आजकल कटोरा फेंक कर, बैंक के बाहर, भुट्टे
मूंगफली सेक कर बेच रहे है ! ठीक है वो चाहे
जो लिख सकते हैं तो "तिवारी साहब" भी अगली
पोस्ट में इसका जवाब देंगे !
तब तक " तिवारी साहब"की सलाम लीजिये )

8 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत अच्छा।

ताऊजी said...

बहुत बढिया तिवारी साहब ! दूकान अच्छी लगाई है !
और माल भी अच्छा है ! आपकी पहली चवन्नी ज्यादा पसंद आई ! बधाई !

विक्रांत बेशर्मा said...

तिवारी साहब, आप तो वापस फॉर्म में आ गए ..आपकी दो चवन्नियों भी सोलह आने खरी हैं !!!!!!

ताऊ रामपुरिया said...

सब जानते हैं की मैं कभी पीता नही ?
फ़िर भी पी लेता अगर तुम शराब होती !

वाह यार तिवारी साहब ! आज ही आपकी पन्डताइन
को ले जाकर दिखाते हैं , आपके सीने के जख्म ! आप
तो ताऊ को जब जवाब दोगे तब दोगे ! पर आज आप
ज़रा बच कर रहना पन्डताइन से !

राज भाटिय़ा said...

तिवारी साहब भाई ताउ से पंगा मत लेना, इस के पास मुझे लगता हे आप के सारे भेद हे, कही इस ताऊ ने आप की पन्डताइन को बता दिये तो... भाई चुप रहने मॆ ही भलाई हे, फ़िर आप चव्न्नियाओ मे भी पीने की बात कर रहे हे? भाई परसो ताऊ से सो रुप्ये भी धमका कर फ़िर प्यार से मांग रहे थे,ओर ताऊ कह रहा था वो कटोरे के पेसे भी तिवारी साहब जी ले गये... भाई ताऊ से सुलाह कर लो , नही तो लेने के देने ना पड जाये. बाकी आप की मर्जी, कल ताऊ एक लठ ओर मंगा वा रहा था, ध्यान से कही आप की सेवा की तेयारी तो नही कर रहा ताऊ,सुना हे आप की पन्डताइन कल ताई से फ़ोन पर खुब बाते कर रही थी, ओर बार बार लठ की तरफ़ भी देख रही थी, भाई राम राम

Smart Indian said...

बहुत अच्छा भई तिवारी साहब!

मौजीराम said...

सब जानते हैं की मैं कभी पीता नही ?
फ़िर भी पी लेता अगर तुम शराब होती !

तिवारी साहब आपकी पहली चवन्नी की इन लाइनों
का जवाब नही ! बहुत मजा आया ! और आप ताऊ से
सोच समझ कर पंगे लेना ! हम पुराने परिचित हैं ताऊ
के ! ये ताऊ कहाँ ले जाकर पानी पिलावैगा ? इस बात
को कोई नही जानता ! दिखने में ये बहुत सीधा दिखाई
देता है पर उतना ही टेड़ा भी है ! एक इसके लट्ठ की
मार बड़ी तगडी पड़ती है !

makrand said...

tiwari ji
great job done
regards