साथियो, मित्रो, भाईयो ,बहनों और सारे वोटरों को तिवारीसाहब का नमस्कार !
हमको अफ़सोस इस बात का है की हमको उपरोक्त भाषण देने का सौभाग्य इस बार नही मिला ! कारण हमारी पार्टी ने हमें टिकट देने के काबिल ही नही समझा ! फ़िर भी हमारी व्यस्तताए वैसी ही हैं जैसी की ख़ुद चुनाव लड़ने में होती है ! कारण की पार्टी का काम करना पड़ता है ! हमारी व्यस्तताए अभी बहुत ज्यादा हैं ! और १०/११ दिन की बात है फ़िर आपसे जमकर बात चित होगी !
अब यहाँ आगये हैं तो कुछ गप शप हो जाए तो अच्छा रहेगा !
एक बार ताऊ २५ वीं मंजिल पर बैठा था ! एक मित्र ने बताया की आपकी पोती का एक्सीडेंट हो गया है तो ताऊ हडबडी में खिड़की से छलांग लगा देते हैं ! २० मंजिल तक नीचे गिरे तो याद आया की उनके तो कोई पोती ही नही है ! फ़िर दसवीं मंजिल तक आते आते उनको याद आया की उनकी तो अभी तक शादी ही नही हुई ! और जब जमीन पर गिर कर उनकी हड्डी पसली एक हो गई तब याद आया की उनका नाम तो ताऊ ही नही था ! अब ये आप अंदाज लगाओ की इनमे ये दोनों ताऊ कौन कौन थे ? हम नही बताएँगे !
उपरोक्त घटना के बाद ताऊ रामपुरिया , राज भाटिया जी और योगीन्द्र मोदगिल जी यानी तीनो हरयाणवी अपने घरो से लड़ झगड़ कर तपस्या करने हिमालय के पहाडो में चले गए ! अब आप जानते ही हो की तपस्या और ताउओ का क्या सम्बन्ध ? तो कुछ घर की याद आने लग गई ! उस जंगल में रास्ता भी मुश्किल सो वापस भी नही जा सकते थे !
राज भाटिया जी और योगीन्द्र मोदगिल जी ज्यादा परेशान थे वापस घर जाने के लिए ! और ताऊ रामपुरिया को तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी ! वो जंगल में बहुत प्रशन्न था ! कारण एक तो ताई से लट्ठ खाने का डर खत्म और सुल्फे गांजे चिलम का पक्का इंतजाम वहाँ था ही ! सो वो किसी कीमत पर वापस नही जाना चाहता था ! तो इनके दो गुट बन गए थे !
एक दिन इनकी तपस्या से भगवान् भोलेनाथ प्रशन्न होके प्रकट हो गए !
और उनसे बोले - वत्स वरदान मांगो !
भाटिया जी बोले - भोले नाथ , मुझे कुछ नही चाहिए बस मेरे बीबी बच्चो के पास मुझे वापस भेज दो !
भोलेनाथ - तथास्तु ! और भाटिया जी जर्मनी पहुँच गए !
योगीन्द्र मोदगिल जी ने भी यही वरदान माँगा और उनको भी भोले नाथ ने पानीपत भेज दिया !
अब ताऊ रामपुरिया सोचने लगा की मैं क्या करूँ ? अब अकेला कैसे रहूंगा ?
और घर वापस गया तो ताई मारेगी लट्ठ से ! इस तरह संन्यास लेकर घर लौटने से जग हंसाई होगी सो अलग ! बड़ी परेशानी में फंस लिया ताऊ तो !
अब भोले नाथ बोले - ताऊ फ़टाफ़ट मांग वरदान ! हमारे पास समय बहुत कम है !
ताऊ - भोले नाथ जी आप तो वरदान स्वरुप राज भाटिया जी और योगीन्द्र मोदगिल जी को वापस युहीं बुलवा दो !
और भोले नाथ - तथास्तु कह कर अंतर्धान हो गए ! और इब फ़िर से तीनो ताऊ उसी गुफा में तपस्या कर रहे हैं ! आपको भी इनसे कुछ काम हो तो इन तीनो सिद्ध पुरुषों का पता हमारे पास है ! आप को भी अवश्य लाभ होगा ! आख़िर सिद्ध ताऊ हैं तीनो ! अब बस संसार के दुःख कष्ट मिटाने का ही कार्य करते हैं !