
उपरोक्त बोर्ड लगा देख कर उत्सुकता वश रुक कर देखा की
यह भयंकर ठंडी बीयर क्या होती है ? और ऐसी गरमी में
तिवारी जी को अगर ठंडी बीयर मिल जाए तो क्या कहने ?
अत: वहीं ढाबे पर हमने गाडी लगा कर पता किया ! गरमी
बहुत ज्यादा थी सो भयंकर ठंडी बीयर का सोच सोच कर ही
आत्मा तृप्त होती जा रही थी !
अन्दर ढाबे में खटिया पे बैठे और इतनी देर में आर्डर, जी
हाँ , आर्डर मास्टर , वेटर को वहाँ बैठे सभी ड्राइवर लोग इसी
नाम से बुला रहे थे ! हमने उससे कहा मास्टर जी आप चार
भयंकरतम ठंडी बीयर ला दो ! इस गरमी में जान निकल रही
है ! जल्दी करो !
अब आर्डर मास्टर चोंका ! बोला भयंकरतम ठंडी बीयर से
आपका क्या मतलब है ? हमने कहा - भाई बाहर सड़क
के बीचों बीच आपने बोर्ड लगा रखा है ! आर्डर मास्टर
मुस्कुराया और बोला - बाबूजी आप शहर से आए हो क्या ?
आपको इतना भी नही दीखता की यहाँ बिजली का कोई
इंतजाम नही है ! फ़िर भयंकर तो छोडो सिर्फ़ ठंडी बीयर
भी कहाँ से आयेगी ?
हमने पूछा - की भाई फ़िर बोर्ड पर ठीक से लिखवा दो !
वो - बोला , ये तो ग्राहक को फंसाकर यहाँ रुकवाने के
लिए लिखा रखा है ! पहले ये ढाबा भी नही चलता था !
तुम्हारी तरह के कोई बाबूजी ने यह सलाह हमारे सेठ
को दी थी , तबसे ढाबा चल, क्या दौड़ रहा है !
तभी पास की खटिया पर बैठे दो ड्राइवर हमारी
बातों का मजा ले रहे थे ! उनमे से एक बोला - बाबूजी
ये ग़लत क्या कहता है ! अरे बीयर की बोतल को जग
में खाली करलो और जितनी भयंकर ठंडी करनी हो
उतनी बर्फ उसमे पटक लो ! ये लो होगई भयंकर
ठंडी बीयर ! और मजे लो , जो इस जंगल में ऎसी
भयंकरतम ठंडी बीयर मिल गई ! और वो ड्राइवर
ये शेर .. या क्या है , हमको सुनाते हुए गुनगुना उठा !
मांगता हूँ तो देती नही , जवाब मेरी बात का !
देती है तो खडा हो जाता है , रोम रोम जज्बात का !!
और आर्डर मास्टर को खाना जल्दी लगाने के लिए
कुछ इस तरह आवाज लगा उठा -- छेती कर ओये
........ के टके ..... !