बहुत साल पहले की बात है ! ताऊ को उन दिनों में वर्त्तमान ताई से प्यार हो गया था ! ताऊ बड़ी हिम्मत करके ताई के पिताजी के पास पहुंचा ! और बोला- मैं तुम्हारी लड़की का हाथ माँगने आया हूँ ! लड़की के पिता जी ने ताऊ को बड़े प्रेम से बैठाया और जाकर एक लट्ठ ले कर आगया ! और ताऊ को खूब लठ्ठों से धो दिया !
बाद में ताऊ का एक बड़ा भाई था भाटिया जी ! उन्होंने ताई के पिताजी से बात कर के दोनों की शादी करवा दी !
एक रात घनघोर पानी बरस रहा था, बिजली कड़क रही थी ! ताऊ भीगता भागता हलवाई की दूकान पर पहुंचा !
हलवाई ने पूछा - ताऊ तुम शादी शुदा दिखते हो ?
ताऊ नाराज होकर जोर से बोला- अरे बावली बूच कहीं के ! ये भी कोई पूछने की बात है ? जाहिर है इस तूफानी
रात में मैं मेरी मां के कहने से तो रस-मलाई लेने नही आता !
14 comments:
very nice! hahahahaha
लो बोलो और भाटिया के रिया था की ताई से कोई डरता ही नहीं है.
तिवारीसाहेब आख़िर क्या इरादे हैं आपके ? फ़िर से आऊं क्या ? हा...हां .....
जाहिर है इस तूफानी रात में मैं मेरी मां के कहने से तो रस-मलाई लेने नही आता !
तिवारी साहब क्या गजब की रचना है ? शानदार व्यंग है ! सही है आज कल पत्नी के कहने से आदमी कुछ भी कर लेता है पर माँ के कहने से थोडा मुश्किल है !
हम महिलाओं को भी ताईजी से ट्रेनिंग लेनी चाहिए थी।
वाह वाह तिवारी साहब छा गए आप तो ! चलो आप पाँव पर तो खड़े हुए कम से कम ! :)
कहाणी तो ओरिजनल लाग रया सै:-)
तिवारी जी यह संजय बेंगाणी भाई की नीयत अच्छी नही लगती यह मुझे ताई से पिटवाने की कोशिश मै है, अब ताऊ ने पंगा लिया है तो भाई भुगतेगा,भाई रसमाली लाये या फ़िर पाव दवाये.
धन्यवाद
जाहिर है इस तूफानी
रात में मैं मेरी मां के कहने से तो रस-मलाई लेने नही आता !
"ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ye to kmal ho gya, pehle tauee jee khait mey, or ab rain mey, ...."
Regards
तिवराइन को इस स्टोरी को कदापि न पढ़ाना नहीं तिवारी साहब आपको तूफानी रात में वे छप्पन मसाले वाली चाट लाने के लिए भेज देंगी। हालांकि आप पहले से ऐसा करते रहो हो। उस दिन जब मैं एक बजे रात को दारू पीकर लौट रहा था तो आप बस स्टैंड पर गाजर का हलवा लेने पंहुचे थे न। पर भाई साफ-साफ बताना आप उस दिन भौजाई के कहने से गए थे या...
तिवारी साहब ,बहुत मुश्किल से शादी करने का विचार आया था मन में आपकी पोस्ट पढ़कर अब विचार बदलने का मन हो रहा है !!!!!!!!!बहुत ही अच्छी पोस्ट है !!
तिवारी साब,
इस हमाम में सारे नंगे...
लुगाई के कहण तै जाणा ही पड़ता है नहीं तो करवाचौथ वाले बरत तोड़ दिया तो..?
पर मेरी समझ मैं तो न्यू आवै अक जलेबी लेण जाता तो लोज़िकल था.
ब्याह पीछै रसमलाई तो घर मै ही नी होजै....
الممتاز!
कब तक यही बताओगे। जल्दी कुछ और लिखो नहीं सारी सहबई तिवराइन से कहकर गायब करवा दूंगा।
दीपावली पर आपको बच्चों को तथा उनकी सगी मां को पंडिताइन की तरफ से प्यार का ढेर सारा उपहार। आपको तब तक नहीं मिलेगा जबतक सुधरोगे नहीं यार।
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