आज सुबह सुबह पन्डताईन ने सब्जी मंडी की लिस्ट पकडा दी ! दशहरे की बड़ी रौनक है ! बच्चे भी रावण जलाने की जोगाड़ में लकडी वगैरह कबाड़ने के चक्कर में हैं ! अनेक वृक्षों की बली आज पक्की है ! आजकल तिवारी साहब ओशो की "प्रीतम छवि नैनन बसी " पढ़ रहे हैं ! रात को उसी को पढ़ते हुए एक कविता नुमा बंदिश पढी ! आज के सन्दर्भ में , बड़ी उपयुक्त लगी ! सोचा , आपसे शेयर कर लूँ ! मैंने ये ताऊ रामपुरिया को दिखाई ! उन्होंने भी पसंद की ! ताऊ के पास ओशो बुक्स का अथाह भण्डार है ! उनसे ही मांग कर लाया था, पढने के लिए ! मैंने कहा - मेरे नाम से छाप देता हूँ, थोड़े बहुत शब्दों के हेर-फेर के साथ ! ताऊ बोले - तिवारी साहब यहाँ मर्यादा वादियों के चक्कर में पड़ गए तो ब्लागिंग भूल जाओगे ! आप तो रिफरेन्स देदो ! अगर जूते ही खाने हैं तो मत दो ! तो अब ओशो तो इस विधा में बड़े प्रवीण रहे हैं ! सो अगर वैसी कोई बात हो तो सवाल जवाब ओशो से करे ! अगर वो नही मिले तो ताऊ की खुपडिया पर लट्ठ बजा ले ! क्योंकि दोष सारा ताऊ का है ! ऐसी किताब हमको पढने को दी ही क्यूँ ! तिवारी साहब का कोई दोष नही है ! और वैसी कोई बात नही हो तो ये कविता पूरी तरह तिवारी साहब की है !
राम द्वारा सीता-अपहरण के बाद
राम ने अपने भक्त हनुमान को बुलाया
और भरे हृदय से यह बताया---
दुनिया कुछ भी कहे,
तू मेरा दास है
पर मुझे अपने से भी ज्यादा
तुझ पर विश्वास है !
जाओ, जल्दी से जाओ,
सीता को खोज कर लाओ
यह मेरी निशानी देकर
उसे तसल्ली दे आओ !
हनुमान ने रामचन्द्रजी के पैर छूये
सीता की खोज मे रवाना हुये
रावण के दरबार मे पहुंचे
उसे देख कर
गुस्से मे जबडे भींचे
कहा--दुष्ट सीता को लौटा दे
क्यों मरने को तैयार हो रहा है ?
पर कलियुग का रावण होंशियार था
उसने बडे प्यार से हनुमान जी को गले लगाया
और समझाया--
देख यार
तू जंगल मे पडा-पडा
क्यों अपनी जवानी बरबाद कर रहा है ?
भूख से तेरा पेट कितना सिकुड रहा है !
मैं चाहूं तुझे लखपति बना दूं
मेरे मन्त्रिमन्डल मे एक जगह खाली है
तू कहे तो तुझे मन्त्री बना दूं !
सुनते ही
पत्थर से भी ठोस हनुमान जी
ढीले पड गये
वे राम के तो पैर छूते थे
पर रावण के पैरों मे पड गये !
बोले--
माई--बाप !
सीता का तो केवल बहाना था.
मुझे तो वैसे ही आपके पास आना था
अरे ! मैं आपके इस एहसान की कीमत
कैसे चुकाऊं ?
आप मेरी पूंछ मे आग लगवा दे
तो उस राम की अयोध्या फ़ूंक आऊं
मैं उसकी किस्मत कभी भी फ़ोड सकता हूं
आपके मन्त्रिमन्डल मे
एक जगह और भी खाली हो
तो लक्ष्मण को भी तोड सकता हूं
इस गद्दी के लिये एक सीता तो क्या
हजार सीताएं आपके पास
छोड सकता हूं !
आप भी बेवकूफ़ हैं,
कहीं कलियुग मे
सीता चुराते हैं !
अरे,
पद के लिये तो आज के राम
अपने आप
आपके पास चले आयेंगे
और अपनी सीता
खुद आपके पास छोड जाएंगे !
आप सबको दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं !
12 comments:
बहुत बढि़या व्यंग्य है तिवारी साहब। कलियुगी महापुरुषों पर धारदार कटाक्ष किया है। मुझे आपका व्यंग्य अच्छा लगा..अब कम से कम मेरी तरफ से तो यह मान ही लें कि यह कविता आपकी ही है :)
आज की राजनीती और राजनेताओं पर आपका व्यंगे सटीक है बहुत ही धारदार शब्दों में आपने कटाक्ष किया है धन्यवाद
अजी तिवारी साहब जी आप ने तो कमाल कर दिया सारा कलयुग का चिठठा ही खोल माराम वेसे एक बात है हो ऎसा ही रहा है, इस समय भारत मे तो भाई भाई को टोपी पहना रहा है, लेकिन फ़िर भी हम महान क्योकि हर काम हम सब से अलग जो करते है, चार साल पहले जब मै भारत मे आया तो एक ट्रक के पिछे लिखा था....
***भाई हो तो ऎसा, हिसाब मांगे ना पेसा**
तिवारी साहब जी आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं !!!
बहुत बढिया तिवारी साहब ! अच्छे काम धंधे से लगे ! लगे रहो ! अब दशहरे की बधाई यहाँ क्या देना ? आ रहे हैं शाम को आपके दौलतखाने पर खाना खाने ! :)
बहुत जबरदस्त!!
विजय दशमी पर्व की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आपको विजया दशमी की बधाई एवँ शुभकामना !
तिवारी साहब को प्रणाम,
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनांयें ।
हनुमानजी को दिख गया तो दौड़ा लेंगे मुंह फ़ुलाकर!
कहीं कलियुग मे
सीता चुराते हैं !
अरे,
पद के लिये तो आज के राम
अपने आप
आपके पास चले आयेंगे
और अपनी सीता
खुद आपके पास छोड जाएंगे !
' what a creative post, very well said, it is kalyug..'
regards
भई वाह तिवारी जी,
क्या खूब व्यंग्य बाण चलाया.......
बढ़िया....
बधाई..
अरे साहब तिवारी
दशहरा बीत गया
दीपावली की करो तैयारी
आठ दिन में सोलह बार
पढ़ने के बाद लगता है
कहीं हमें न लग जाए
रावण वाली बीमारी
ताऊ की सलाह सटीक थी. कविता पर "हम कमेन्ट नहीं ना करूंगा"
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