Wednesday, October 29, 2008

ताऊ का नया जूता

आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ! हम आपको व्यक्तिगत रूप से आकर दीपावली की शुभकामनाएं नही दे सके ! क्योंकि हमारी पन्डताइन  की तबियत ठीक नही थी ! सो हम आप लोगो से दूर रहे ! और इसके लिए हम आप से क्षमा चाहते हैं ! आइये आपको एक बिल्कुल ताजा किस्सा सुनाता हूँ ! 

कल दीपावली मिलने या कहिये साल भर के पापो का प्रायश्चित करने ताऊ रामपुरिया  के घर गए थे ! वहाँ जाकर मिठाई विठाई खा पीके वापस आने लगे तो बिजली गुल हो गई ! तो ताऊ उठकर खड़े हो गए और टॉर्च लेके हमारे आगे २ हो लिए ! 

हमने कहा - ताऊ रास्ता हमारा रोज का देखा हुवा है हम चले जायेंगे ! आप कहाँ कष्ट करेंगे ?

इस बात पर ताऊ कहने लगे - यार तिवारी साहब , मैंने कोई आपको रास्ता दिखाने के लिए टॉर्च थोड़ी उठाई है ? अरे टॉर्च तो मैंने इस लिए उठाई है की आप कहीं अंधेरे में आपके  पुराने जूते छोड़ कर मेरे नए जूते नही पहन कर निकल लो ! 

 

Tuesday, October 21, 2008

शक्ल ही नही आदत भी बहुत मिलती है ताई से !


ताऊ अपने घर पर जाकर गप्पे मार रहा था की आफिस में मेरे नीचे ४० आदमी काम करते हैं ! तो ताई ने पूछा - फ़िर तो तुम बहुत बड़े अफसर होगे ? अब ताऊ बोला - नही नही वो बात नही है ! असल में मेरा आफिस ऊपर की मंजिल पर है और मेरे नीचे की मंजिल पर जो आफिस है उसमे ४० आदमी काम करते हैं ! इस बात पर ताई को गुस्सा आगया ! और उसने ताऊ का गला पकड़ कर कहा - अब काम धंधा शुरू कर दो नही तो तुम्हारी खैर नही है ! बहुत दिन हो गए उल्टे सीधे धंधे करते हुए !  कोई सलीके का काम करो ! और दो लट्ठ ताऊ पर बजा दिए !

अब ताऊ को बड़ी चिंता लगी की अब क्या काम करे ! ताऊ की पहचान कुछ ज्यादा ही थी सो ताऊ को क्रिकेट टीम की कप्तानी मिल गई ! शर्त ये थी बोर्ड वालो की - मैच जिताओगे तो ही अगले मैच की कप्तानी मिलेगी !   अब इससे ज्यादा अच्छा धंधा और क्या मिलता ? मैच जिताने की जिम्मेदारी ताऊ की ! ताऊ बोर्ड से बोला - आप चिंता ही मत करो ! हमको कप्तान बना दिया तो मैच जीता ही समझो !  रोहतक के स्टेडियम में मैच शुरू होने वाला था ! ताऊ एम्पायर के पास गया टोस के पहले और बोला - एम्पायर साब , वैसे तो आप आदमी इमानदार लगते हैं फ़िर भी मैं आपसे हमारे हक़ में इमानदार होने की अपेक्षा रखता हूँ ! वैसे ये उतार दिशा  में स्टेडियम से लगी इमारत है वो असपताल है और दक्षिण में जो नदी बह रही है वो बहुत ही गहरी है ! इसमे डूबने के बाद कोई बचता नही है ! और इस मैदान में मेरी टीम कभी कोई मैच आज तक  हारी नही है आगे आप समझ दार हो ! ताऊ की धमकी काम कर गई और एम्पायर ने मैच ताऊ की टीम को जिता  दिया ! 

चारो तरफ़ ताऊ की जय जयकार होने लगी ! और अगले मैच के लिए ताऊ उसकी टीम के साथ मुम्बई जाने के लिए हवाई जहाज में सवार हो लिया ! जैसे ही हवाई जहाज में चढ़ा , सामने खडी एयर होस्टेस ने ताऊ को मुस्कराकर नमस्ते किया ! जवाब में ताऊ ने मुस्करा कर  नमस्ते का जवाब देकर कहा - तुम्हारी शक्ल मेरी बीबी से बहुत मिलती है ! अब एयर होस्टेस को गुस्सा आगया और ताऊ को एक जोरदार तमाचा जड़ दिया !  ताऊ गाल सहलाते सहलाते बोला - शक्ल ही नही आदत भी बहुत मिलती है ताई से  ! 



 


Friday, October 17, 2008

ताऊ के कारनामे

बहुत साल पहले की बात है ! ताऊ को उन दिनों में वर्त्तमान ताई से प्यार हो गया था ! ताऊ बड़ी हिम्मत करके  ताई के पिताजी के पास पहुंचा ! और बोला- मैं तुम्हारी लड़की का हाथ माँगने आया हूँ ! लड़की के पिता जी ने ताऊ को बड़े प्रेम से बैठाया और जाकर एक लट्ठ ले कर आगया ! और ताऊ को खूब लठ्ठों से धो दिया ! 

बाद में ताऊ का एक बड़ा भाई था भाटिया जी ! उन्होंने ताई के पिताजी से बात कर के दोनों की शादी करवा दी ! 

एक रात घनघोर पानी बरस रहा था, बिजली कड़क रही थी ! ताऊ भीगता भागता हलवाई की दूकान पर पहुंचा !
हलवाई ने पूछा - ताऊ तुम शादी शुदा दिखते हो ?

ताऊ नाराज होकर जोर से बोला- अरे बावली बूच कहीं के ! ये भी कोई पूछने की बात है ? जाहिर है इस तूफानी 
रात में मैं मेरी मां के कहने से तो रस-मलाई लेने नही आता ! 

Wednesday, October 8, 2008

तिवारीसाहब के विचार दशहरे पर आज के सन्दर्भ में

आज सुबह सुबह पन्डताईन ने सब्जी मंडी की लिस्ट पकडा दी ! दशहरे की बड़ी रौनक है ! बच्चे भी रावण जलाने की जोगाड़ में लकडी वगैरह कबाड़ने के चक्कर में हैं ! अनेक वृक्षों  की बली आज पक्की है ! आजकल तिवारी साहब ओशो की "प्रीतम छवि नैनन बसी " पढ़ रहे हैं ! रात को उसी को पढ़ते हुए एक कविता नुमा बंदिश पढी ! आज के सन्दर्भ में , बड़ी उपयुक्त लगी ! सोचा , आपसे शेयर कर लूँ ! मैंने ये ताऊ रामपुरिया को दिखाई ! उन्होंने भी पसंद की ! ताऊ के पास ओशो बुक्स का अथाह भण्डार है ! उनसे ही मांग कर लाया था, पढने के लिए !  मैंने कहा - मेरे नाम से छाप देता हूँ, थोड़े बहुत शब्दों के हेर-फेर के साथ  ! ताऊ बोले - तिवारी साहब यहाँ मर्यादा वादियों के चक्कर में पड़ गए तो ब्लागिंग भूल जाओगे ! आप तो रिफरेन्स देदो ! अगर जूते ही खाने हैं तो मत दो ! तो अब ओशो तो इस विधा में बड़े प्रवीण रहे हैं ! सो अगर वैसी कोई बात हो तो सवाल जवाब ओशो से करे ! अगर वो नही मिले तो ताऊ की खुपडिया पर लट्ठ बजा ले ! क्योंकि दोष सारा ताऊ का है ! ऐसी किताब हमको पढने को दी ही क्यूँ ! तिवारी साहब का कोई दोष नही है !  और वैसी कोई बात नही हो तो ये कविता पूरी तरह तिवारी साहब की है !    

राम द्वारा सीता-अपहरण के बाद
राम ने अपने भक्त हनुमान को बुलाया
और भरे हृदय से यह बताया---
दुनिया कुछ भी कहे,
तू मेरा दास है
पर मुझे अपने से भी ज्यादा
तुझ पर विश्वास है !
जाओ, जल्दी से जाओ,
सीता को खोज कर लाओ
यह मेरी निशानी देकर
उसे तसल्ली दे आओ !

हनुमान ने रामचन्द्रजी के पैर छूये
सीता की खोज मे रवाना हुये
रावण के दरबार मे पहुंचे
उसे देख कर 
गुस्से मे जबडे भींचे
कहा--दुष्ट सीता को लौटा दे
क्यों मरने को तैयार हो रहा है ?

पर कलियुग का रावण होंशियार था 
उसने बडे प्यार से हनुमान जी को गले लगाया
और समझाया--
देख यार
तू जंगल मे पडा-पडा
क्यों अपनी जवानी बरबाद कर रहा है ?
भूख से तेरा पेट कितना सिकुड रहा है !
मैं चाहूं तुझे लखपति बना दूं
मेरे मन्त्रिमन्डल मे एक जगह खाली है 
तू कहे तो तुझे मन्त्री बना दूं !

सुनते ही
पत्थर से भी ठोस हनुमान जी 
ढीले पड गये
वे राम के तो पैर छूते थे
पर रावण के पैरों मे पड गये !
बोले--
माई--बाप !
सीता का तो केवल बहाना था.
मुझे तो वैसे ही आपके पास आना था 
अरे ! मैं आपके इस एहसान की कीमत 
कैसे चुकाऊं ?
आप मेरी पूंछ मे आग लगवा दे 
तो उस राम की अयोध्या फ़ूंक आऊं
मैं उसकी किस्मत कभी भी फ़ोड सकता हूं 
आपके मन्त्रिमन्डल मे 
एक जगह और भी खाली हो 
तो लक्ष्मण को भी तोड सकता हूं 
इस गद्दी के लिये एक सीता तो क्या 
हजार सीताएं आपके पास
छोड सकता हूं !
आप भी बेवकूफ़ हैं,
कहीं कलियुग मे
सीता चुराते हैं !   
अरे,
पद के लिये तो आज के राम
अपने आप
आपके पास चले आयेंगे
और अपनी सीता
खुद आपके पास छोड जाएंगे !

आप सबको दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं !  



  

Saturday, October 4, 2008

ताई का अपहरण

बड़ी फिक्र में पडा ताऊ 
क्योंकि कल दिन दहाड़े
क्लब के सामने वाली सड़क पर 
ताई का अपहरण हो गया !

एक संदेश आया  
बीस लाख रुपये २४ घंटे में 
भूतमहल वाली पहाडी की तलहटी में 
शिव-मन्दिर के पीछे रख दिए जाएँ ! 

यह रकम हम ख़ुद ही आकर 
संभाल लेंगे 
और ऐसा नही किया तो 
ताई को वापस भेज देंगे !

तू कैसे रहता है  इसके साथ ?
क्या तू कोई जट्ट है ?
अरे ये तो बात करने के पहले ही 
मारती चार लट्ठ है !

 
(नोट : ताऊ रामपुरिया के बारे में नही है !)